दोस्तों क्या आप भी यह जानना चाहते हैं कि गोंड आदिवासी हिंदू है अथवा नहीं। तो इसको जानने से पहले आपको यह जानना होगा कि आखिर यह गोंडी धर्म है क्या और यह हिंदू धर्म क्या है?
इन दोनों को पहले समझते हैं इसके बाद दोनों की तुलना करेंगे इसके बाद लास्ट में आपको यह संपूर्ण आदिवासी वास्तव में हिंदू है अथवा नहीं तो चलिए जानते हैं इसके लिए आपको इस आर्टिकल को पूरे अंत तक पढ़ना होगा। ताकि आपको इससे जुड़ी हुई संपूर्ण जानकारी आपको मिल सके।
गोंडी धर्म क्या है?
चलिए दोस्तों सर्वप्रथम यह जान लेते हैं कि गोंडी धर्म वास्तव में है क्या और यह दूसरे धर्म से किस प्रकार अलग है? दोस्तों आपको बता दूं कि गोंडी एक ऐसा धर्म है जो अधिक आदिवासियों के जीने की पढ़ती है। जिसमें लोक व्यवहार के साथ-साथ पर अलौकिक आध्यात्मिकता या अध्यात्म से जुड़ा हुआ है।
आत्मा और पर महात्मा या परम आत्मा की आराधना लोक जीवन से इतर ना होकर लोग और सामाजिक जीवन का ही एक भाग है। धर्म यहां अलग से विशेष आयोजित कम करने गतिविधियों के उलट जीवन के हर एक क्षेत्र में सामान्य गतिविधियों में संलग्न रहता है। गोंडी धर्म अनुगामी प्रकृति का पूजा करता है।
अर्थात यह प्रकृति की पूजा करता है वह घर के चूल्हे बेल मुर्गी पेड़ खेती खलिहान चांद और सूरज सहित संपूर्ण प्रकृति चीजों को अपना देवी देवता मानते हैं उनकी पूजा अर्चना करते हैं और यह आदिवासी पेड़ काटने से पूर्व उसे पेड़ से क्षमा याचना करते हैं तत्पश्चात वे पेड़ को काटते हैं।
गाय बैल बकरियों को जीवन आश्चर्य होने के लिए धन्यवाद देते हैं लोगों को निरंतर मार्गदर्शन और आशीर्वाद देने के लिए भोजन करने पानी पीने के पूर्व उनका हिस्सा भूमि पर गिरा कर देते हैं जड़ी बूटियां का उपयोग करने के लिए धरती माता और वनस्पति से अग्नि निवेदन और उपादहे प्रक्रिया अनिवार्य होती है।
धरती माता को प्रणाम करने के बाद ही खेती-बाड़ी का कार्य शुरू किया जाता है लेकिन यह पूजन कहीं भी रोड नहीं है कोई भी कुंडली धर्मी लोक और परलोक के प्रकृति में से किसी का भी पूजन कर सकता है जरूरी नहीं है की दूसरी भी उसी पेड़ की पूजा करें दिलचस्प और ध्यान देने वाली बात तो इसमें यह है कि जो आज एक विशेष पेड़ की पूजा कर रहा है।
वह जरूरी नहीं है कि वह कल भी उसी पेड़ की पूजा करें यहां पेड़ किसी मंदिर मस्जिद या चर्च चित्र रोड नहीं है वह तो विराट प्रकृति का सिर्फ एक प्रतीक है और हर पेड़ प्रकृति का जीवंत प्रतीक है इसलिए किसी एक पेड़ को रोड होकर पूजन करने का कोई मतलब नहीं है। अमूर्त शक्ति का उपासना के लिए एक मूर्ति प्रकृति का सिर्फ आवश्यकता वर्ष वह उसे या किसी अन्य पेड़ का पूजन करता है।
वही दोस्तों गोंडी धर्म किसी धार्मिक ग्रंथ और पोती का मोहताज भी नहीं है उठी आधारित धर्म में अनुगामी नियमों की खूंटी से बांधा गया होता है। जहां अनुगामी एक सीमित दायरे में अपने धर्म की प्रैक्टिस करता रहता है जहां वर्जन आए हैं सीमाएं हैं। खास क्रिया कर्मों को करने के खास नियम और विधियां होती है जिसका प्रशिक्षण खास तरीके से भी दिया जाता है बुद्धि बुद्ध धर्मके इधर गोंडी धर्म धार्मिकता के उच्च व्यक्तिगत स्वतंत्रता की गारंटी देता का धर्म है जहां सब कुछ प्रकृति से प्रभावित है।
और सब कुछ प्रकृति में है कोई नियम योजनाएं इसमें नहीं है अब जैसे हैं वैसे ही हैं बिना किसी कृत्रिमिता के गोंडी धर्मी हो सकते हैं और प्राकृतिक ढंग से इसे अपने जीवन में अभ्यास कर सकते हैं जीवंत और प्रामाणिक प्रकृति जो जीवन का अनिवार्य अंग है आप उसे एक अंग है आप चाहे तो इन्हीं मान्यता दी या ना दे पर सच्चाई यही है।
दोस्तों इस प्रकार आप समझ ही गए होंगे की गोंडी धर्म किसी मंदिर मस्जिद में न होकर उनकी देवी देवताएं प्रकृति में होती है पेड़ पौधे धरती आकाश यह इनकी देवी देवताएं होती हैं। और यह इनकी पूजा करते हैं और किसी एक ही पेड़ की पूजा नहीं करते।
यह प्रकृति में जितने भी पेड़ हैं उन सभी की पूजा कर सकते हैं जिस प्रकार से मंदिर में सिर्फ एक ही मंदिर होता है। एक निश्चित जगह होता है। इस प्रकार नहीं होता है इनकी देवी देवताएं हर जगह निवासरत होती हैं। जैसे कि आप सभी को अच्छे से पता है की पेड़ हर एक जगह है तो उनकी कोई एक वृक्ष नहीं होती है हर एक वृक्ष की यह पूजा कर सकते हैं।
हिंदू धर्म क्या है?
चलिए दोस्तों अब बात कर लेते हैं हिंदू धर्म क्या है दोस्तों विकिपीडिया के अनुसार सनातन धर्म हिंदू धर्म का एक संप्रदाय है। जिसका उपयोग आम हिंदू धर्म के साथ-साथ संस्कृति और अन्य भारतीय भाषा में भी किया जाता है। सनातन धर्म को हिंदू धर्म का एक संप्रदाय मान जाया नहीं। इस पर दुनिया भर के हिंदू में मतभेद है क्योंकि सनातन धर्म ऐतिहासिक वैदिक धर्म पर आधारित है या हिंदू धर्म एक वैकल्पिक नाम है। दोस्तों इस प्रकार से विकिपीडिया के अनुसार हिंदू धर्म की व्याख्या की गई है।
गोंड आदिवासी हिंदू है अथवा नहीं
तो दोस्तों आपको बता दूं कि गोंड आदिवासी हिंदू नहीं है। क्योंकि इनकी व्याख्या आप पर की परिभाषाओं में देख सकते हैं। क्योंकि आदिवासियों का धर्म देवी देवताएं दूसरे जगह है और उनकी कोई एक निश्चित जगह नहीं होती है। वह प्रकृति में जितने भी चीज हैं उनकी पूजा अर्चना करते हैं जबकि हिंदू धर्म में एक निश्चित जगह होती है। एक निश्चित मंदिर होता है जहां वे पूजा अर्चना करते हैं इस प्रकार यह कह सकते हैं कि गोंड आदिवासी हिंदू नहीं है और इस बात को उच्च न्यायालय ने भी स्वीकृत किया है कि गोंड आदिवासी हिंदू नहीं है।