हैदराबाद: चलिए दोस्तों जानते है कि वोटिंग से पहले आधी रात में ऐसा क्या हुआ जो आधी रात 400 पुलिस बाल बुलाए गए? तेलंगाना में गुरुवार को विधानसभा चुनाव थे। वोटिंग से कुछ घंटे पहले आंध्र प्रदेश सरकार ने कृष्णा नदी पर नागार्जुन सागर बांध के आधे हिस्से को अपने नियंत्रण में ले लिया। बांध पर नियंत्रण लेते ही आंध्र प्रदेश ने उसके किनारे पानी छोड़ दिया।
दोनों राज्यों के बीच बांध को लेकर 2014 से विवाद चल रहा है। 2014 वही साल है जब तेलंगाना को आंध्र प्रदेश से अलग कर दिया गया था। तेलंगाना की के चंद्रशेखर राव के नेतृत्व वाली बीआरएस सरकार ने आंध्र प्रदेश के वाईएसआरसीपी शासन के बांध के हिस्से पर कब्जा करने और बैरिकेड लगाने के कदम के खिलाफ कृष्णा नदी प्रबंधन बोर्ड से शिकायत की है। केआरएमबी दोनों राज्यों को पानी आवंटित करता है। इस घटनाक्रम से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में सियासत तेज हो गई है हालांकि चुनावी राज्य होने के चलते स्थितियां नियंत्रण में हैं।
आंध्र प्रदेश पुलिस के लगभग 400 पुलिसकर्मी राज्य के सिंचाई अधिकारियों के साथ गुरुवार को सुबह लगभग 1 बजे बांध में घुस गए। इस घटनाक्रम ने चुनाव-प्रमुख तेलंगाना पुलिस को चौंका दिया। आंध्र प्रदेश से बांध के आधे हिस्से वाले 36 फाटकों पर नियंत्रण कर लिया।
दोनों राज्यों की पुलिस के बीच बहस
जब तेलंगाना के अधिकारी और नलगोंडा से कुछ पुलिसकर्मी बांध पर पहुंचे, तो आंध्र प्रदेश के अधिकारियों के साथ बहस हुई। लेकिन जब आंध्र प्रदेश के अधिकारियों ने जोर देकर कहा कि वे अपनी सरकार के निर्देशों पर कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं, तो तेलंगाना के अधिकारी लौट आए।
आंध्र प्रदेश के अधिकारी कथित तौर पर तेलंगाना से आने वाले वाहनों को तब तक अनुमति नहीं दे रहे थे जब तक कि वे राज्य के पते के साथ आधार कार्ड नहीं दिखाते। तेलंगाना के अधिकारियों ने कहा कि इसी तरह का प्रयास आंध्र प्रदेश ने तीन साल पहले किया था, लेकिन इसे विफल कर दिया गया था।
पहले से थी प्लानिंग?
अधिकारी ने कहा, 'हमारी जानकारी है कि आंध्र प्रदेश सरकार 10,000 क्यूसेक पानी छोड़ रही है। नियामक ने उन्हें अलग-अलग बिजली की लाइनें प्रदान की हैं। इसका मतलब है कि आंध्र प्रदेश पिछले कुछ हफ्तों से इसकी योजना बना रहा है। उन्होंने सीसीटीवी कैमरों के साथ-साथ बांध में एक स्वचालित प्रवेश द्वार को भी क्षतिग्रस्त कर दिया।
रेवंत रेड्डी बोले-साजिश
वहीं तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) के अध्यक्ष ए. रेवंत रेड्डी ने आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के बीच नागार्जुन सागर बांध पर तनावपूर्ण स्थिति को राज्य सरकार की साजिश करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि के. चंद्रशेखर राव का ये हताश प्रयास कामयाब नहीं होगा। उन्होंने तेलंगाना के लोगों से इस तरह के बहकावे में न आने की अपील की और वादा किया कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस सभी अंतरराज्यीय विवादों को बातचीत से सुलझाने की कोशिश करेगी।
कांग्रेस नेता तेलंगाना के अधिकारियों के आंध्र प्रदेश को पानी छोड़ने के लिए बांध के दरवाजे खोलने से रोकने के बाद दोनों राज्यों के पुलिस बलों के बीच तनाव की खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। उन्होंने मांग की कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) को इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि सरकार उनके अधीन काम कर रही है।
'राजनीतिक लाभ के लिए नाटक'
रेवंत रेड्डी ने दावा किया कि बांध पर हुई घटना पिछले 9 वर्षों से अंतर-राज्यीय समस्याओं को हल करने में केसीआर की विफलता को साबित करती है। उन्होंने कहा कि उनकी असफलताएं सबके सामने हैं। उन्होंने केवल अपने परिवार और निजी हितों की परवाह की है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री के तौर पर केसीआर ने समस्याओं के समाधान के प्रति कभी गंभीरता नहीं दिखाई और अचानक मतदान के दिन राजनीतिक लाभ के लिए नाटक शुरू कर दिया।
'केसीआर की शकुनी साजिश'
कांग्रेस अध्यक्ष ने टिप्पणी की कि केसीआर ने अंतिम समय में शकुनी साजिश का सहारा लिया लेकिन यह काम नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि लोगों को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि बांध या गेट 24 घंटे में कहीं नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि लोग बुद्धिमान हैं और वे जवाब देना जानते हैं।
'पाकिस्तान और भारत भी साझा कर रहे जल'
रेवंत रेड्डी ने कहा कि 9 दिसंबर को कांग्रेस सरकार बनने के बाद वह आंध्र प्रदेश और अन्य पड़ोसी राज्यों के साथ सभी अंतरराज्यीय विवादों को सुलझाने की कोशिश करेगी।
उन्होंने कहा कि जब भारत और पाकिस्तान जल साझा कर रहे हैं, तो राज्यों के बीच जल विवाद क्यों नहीं सुलझाए जा सकते? उन्होंने पूछा कि कांग्रेस आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के साथ पानी के मुद्दों को सुलझाने के लिए जिम्मेदारी से काम करेगी।
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