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बृजभूषण शरण सिंह को बीजेपी आख़िर क्यों नहीं दरकिनार कर पाई?

बृजभूषण शरण सिंह को बीजेपी आख़िर क्यों नहीं दरकिनार कर पाई?


भारतीय जनता पार्टी ने लंबे समय तक जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी, उनमें से एक थी उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट.


इस सीट पर मौजूदा सांसद हैं बृजभूषण शरण सिंह. कुछ महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.


भारत के शीर्ष पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर लंबे समय तक धरना भी दिया.


ये मामला अब अदालत में है और इस पर सुनवाई चल रही है.


माना जा रहा था कि बीजेपी इस सीट पर बृजभूषण शरण सिंह को टिकट देने को लेकर दुविधा में है.

पार्टी ने इस दुविधा का अंत बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह को टिकट देकर किया.


बीजेपी के इस फ़ैसले के बाद कई पहलवानों ने इस पर अपनी नाराज़गी जताई है.


आंदोलन का नेतृत्व करने वाली साक्षी मलिक ने तो यहाँ तक कहा कि देश की बेटियाँ हार गईं और बृजभूषण जीत गए.


जानकार ये भी बता रहे हैं कि पूरे इलाक़े में बृजभूषण शरण सिंह का इतना प्रभाव है कि बीजेपी उन्हें पूरी तरह दरकिनार नहीं कर सकती, इसलिए बीजेपी ने उनकी जगह उनके बेटे को टिकट दिया है.

बीजेपी विधायक पल्टूराम ने बताया था, "गोंडा के नंदिनी नगर महाविद्यालय की स्थापना के बाद, सिर्फ़ देवीपाटन मंडल ही नहीं, अयोध्या मंडल और बस्ती मंडल में भी शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने काफ़ी काम किया है."


बलरामपुर के छात्र सोनू तिवारी ने कहा था, "वो हमारे गार्जियन हैं. वो एक तरह से ग़रीबों के मसीहा भी हैं. हम लोग उनसे ज़िंदगी भर जुड़े रहेंगे."


प्रवेश यादव बिहार से हैं और वो बोले थे कि बृजभूषण के संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र, "उनसे व्यक्तिगत जुड़ाव महसूस करते हैं."


बलरामपुर से सोनू तिवारी चुनावों में छात्रों के इस्तेमाल की बात को गलत बताते हुए बोले थे, "उन्होंने लड़कों को कभी प्रचार के लिए नहीं बुलाया, लेकिन अगर आपका कोई व्यक्तिगत जुड़ाव है तो आप प्रचार करेंगे ही."


बिहार के आरा ज़िले से ओंकार सिंह ने बीबीसी से कहा था, "नेताजी हमारे दिल में बसते हैं. अगर यह आरोप झूठे लगे हैं तो फिर इन पहलवानों के खेल पर जीवन भर के लिए पाबंदी लगाई जाए और उनके मेडल वापस लिए जाएँ. नेताजी सिर्फ यहाँ के ही नेता नहीं हैं. पूरे बिहार के नेता भी हैं."


आरा से आकर बृजभूषण शरण सिंह के कॉलेज में पढ़ रहे विश्वजीत कुमार सिंह बोले थे, "नेताजी हमारे भगवान हैं. मेरे दिल में बसते हैं. अगर बिहार से भी चुनाव लड़ेंगे तो वहाँ से भी जीतेंगे."

'नक़ल माफिया' होने का आरोप

उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोंडा में एक रैली के मंच से नक़ल का मुद्दा उठाया था.


प्रधानमंत्री मोदी ने अखिलेश यादव सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, "गोंडा में तो जत्थाबंद नकल का बिज़नेस चलता है, व्यापार चलता है. यहाँ चोरी करने की नीलामी होती है. जो सेंटर मिलता है, वो हर विद्यार्थी के माँ-बाप को कहता है कि देखिए, तीन हज़ार डेली का, दो हज़ार डेली का, पांच हज़ार डेली का. अगर गणित का पेपर है तो इतना, अगर विज्ञान का पेपर है तो इतना. होता है कि नहीं होता है, भाइयों?"


रैली में आई जनता ने जवाब दिया, "होता है!"


मोदी ने पूछा, "यह ठेकेदारी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?" जनता कहती है, "होनी चाहिए!" मोदी पूछते हैं, "यह बेईमानी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?" जनता कहती है, "होनी चाहिए!"


मोदी मंच से बोले थे, "यह मेरे देश की भावी पीढ़ी को यह तबाह करने वाला कारोबार है. यह कारोबार बंद होना चाहिए. शिक्षा के साथ यह जो अपराध जुड़ गया है, वो समाज को, आने वाली पीढ़ियों तक तबाह करके रख देता है."


मोदी तब नक़ल के मुद्दे पर लगातार पाँच मिनट तक बोले थे.


गोंडा के वकील और बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले रवि प्रकाश पांडेय पुराने भाजपाई थे. मई 2023 में रवि प्रकाश का निधन हो गया था.


लेकिन उससे पहले उन्होंने बीबीसी को बताया था कि वे 2017 की मोदी की इस रैली में वो भी मौजूद थे. उन्हें गोंडा में नक़ल पर नरेंद्र मोदी का वह चुनावी भाषण अच्छी तरह याद है.


उन्होंने कहा था, "भरी चुनावी सभा में इनको (बृजभूषण) शिक्षा माफिया इंगित किया था."


शिक्षा माफिया कोई और भी तो हो सकता है, इस सवाल के जवाब में रवि प्रकाश पांडेय ने कहा था, "58 कॉलेज इन्हीं के पास तो हैं, तो इनका अपना उद्योग है. इनके (बृजभूषण के) तमाम स्कूलों में एडमिशन करा लीजिए और सर्टिफिकेट ले लीजिए."


लेकिन इन आरोपों पर बृजभूषण शरण सिंह ने कहा था, "नकल माफ़िया हम नहीं हैं. नकल माफ़िया थे मुलायम सिंह. आज मैं पूछना चाहता हूँ कि अगर नकल के कारण मेरे विद्यालय चलते हैं, तो आज भी सबसे अधिक संख्या में मेरे विद्यालय क्यों हैं? क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में हम ही एक ऐसे आदमी हैं कि जिसके पास पूरे के पूरे टीचर हैं और क्वालिफाइड टीचर हैं. मेरे पचासों स्कूल-कॉलेज हैं."


नक़ल माफिया के आरोप के बारे में हमने नंदिनी कॉलेज के छात्र प्रवेश यादव से पूछी तो उन्होंने कहा, "नहीं, ऐसा नहीं है. वो गोंडा में सुविधा दे रहे हैं. ज़ाहिर बात है कि उनके इतने कॉलेज हैं, लेकिन पता नहीं लोगों को क्यों लग रहा है कि वो नक़ल माफिया हैं."

गोंडा में बीजेपी बनाम बृजभूषण?

गोंडा के गलियारों में एक बात यह भी सुनने को मिलती है कि गोंडा और आसपास के ज़िलों में बृजभूषण शरण सिंह का राजनीतिक क़द बीजेपी पर निर्भर नहीं है, उनका अपना दमखम है.


उनके प्रभाव को बेहतर समझने के लिए बीबीसी की टीम गोंडा में यूपी के निकाय चुनाव वाले मतदान के दिन मौजूद थी. उनके पैतृक इलाके नवाबगंज में हमने नगर पालिका अध्यक्ष के 'निर्दलीय' प्रत्याशी सत्येंद्र कुमार सिंह की प्रचार सामग्री में बृजभूषण की बड़ी-बड़ी तस्वीरें देखीं.


ऐसा लग रहा था कि बृजभूषण खुलेआम बीजेपी के प्रत्याशी के ख़िलाफ़ निर्दलीय सत्येंद्र कुमार सिंह का समर्थन कर रहे थे.


लेकिन सत्येंद्र कुमार सिंह का कहना था, "इस चुनाव से बृजभूषण शरण सिंह जी ने अपनी दूरी बना रखी है. हम लोग उनके बच्चे हैं. यह उनका क्षेत्र है. पोस्टर में लगे फोटो बीजेपी सांसद के नाते नहीं हैं, वो इस क्षेत्र के अभिभावक हैं. मेरे लिए भगवान स्वरुप हैं. अगर मैं पॉलिटिक्स में आया हूँ तो 110 प्रतिशत बृजभूषण शरण सिंह जी की वजह से आया हूँ."


वहीं बीजेपी के प्रत्याशी जनार्दन सिंह को यूपी जैसे बीजेपी शासित राज्य में भय और ख़ौफ़ महसूस हो रहा था. उन्होंने कहा था, "गोंडा की राजनीति थोड़ी अलग है. बहुत ज़्यादा नहीं कह सकते हैं, लेकिन यहाँ पर थोड़ा डर का माहौल है."


निकाय चुनाव के नतीजों में निर्दलीय सत्येंद्र सिंह ने 5100 वोटों के साथ जीत दर्ज की और बीजेपी के प्रत्याशी जनार्दन सिंह को सिर्फ 150 वोट मिले.


सत्येंद्र कुमार सिंह की निर्दलीय उम्मीदवारी के बारे में गोंडा से वरिष्ठ पत्रकार जानकी शरण द्विवेदी बोले थे, "यह माना जा सकता है कि वो बृजभूषण के इशारे पर चुनाव में थे, लेकिन इस बार पहलवानों के प्रदर्शन का एक मनोवैज्ञानिक प्रेशर था तो शायद उन्हें लगा कि एक और मोर्चा खोलना मुनासिब नहीं होगा. लेकिन चाहे वो निकाय चुनाव हों या पंचायत चुनाव हों, समय-समय पर बृजभूषण पार्टी के घोषित कैंडिडेट के ख़िलाफ़ निर्दलीय को चुनाव लड़वाते हैं और यह संदेश देते हैं कि अगर हमारे हिसाब से होगा तो होगा, वरना हम अपना रास्ता बनाना भी जानते हैं."

रिश्तेदारों पर ज़मीन कब्ज़े के आरोप

बृजभूषण शरण सिंह के विरोधी और बीजेपी से जुड़े स्थानीय वकील रवि प्रकाश पांडेय का दावा था कि उन्होंने दो महीने पहले बृजभूषण शरण सिंह के भतीजे और अन्य लोगों के ख़िलाफ़ नज़ूल की सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने की शिकायत की थी.


उनका कहना था कि उनकी शिकायत के बाद आख़िरकार सरकार ने बुलडोज़र चलवाया.


फरवरी में गोंडा प्रशासन ने बृजभूषण के भतीजे सुमित सिंह और आठ अन्य लोगों पर गोंडा के सिविल लाइंस में तीन एकड़ सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा करने और धोखाधड़ी का मुक़दमा दर्ज किया और बुलडोज़र से कब्ज़े को गिराया गया.


वकील रवि प्रकाश ने कहा था कि यह कार्रवाई इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने गोंडा में भू-माफ़िया के खिलाफ मुहिम चलाई. उनका दावा था कि जब बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक पहुँची तब प्रशासन का बुलडोज़र चला, मुक़दमा दर्ज हुआ और 50 करोड़ की ज़मीन छुड़वाई गई.

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